राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि भारत के ‘विश्वगुरु’ बनने की दिशा में प्रगति को धीमा करने के लिए उसके बारे में गलत धारणाएं और विकृत सूचनाएं फैलाई जा रही हैं।
उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि भागवत ने कहा कि 1857 के बाद (प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद) देश के बारे में इस तरह की भ्रांतियां फैलाई गईं, लेकिन ऐसे तत्वों को स्वामी विवेकानंद से करारा जवाब मिला।
मोहन भागवत ने कहा, “दुनिया में कोई भी तर्क के आधार पर हमसे बहस नहीं कर सकता है।”
भागवत ने कहा, “हम अगले 20-30 वर्षों में विश्वगुरु बनने जा रहे हैं। इसके लिए हमें कम से कम दो पीढ़ियों को तैयार करने की जरूरत है, जो बदलाव का अनुभव करें।”
भागवत ने कहा, “भारत ने पिछले कुछ वर्षों में बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन विश्व स्तर पर विकृत जानकारी फैलाई जा रही है, जिसका मुकाबला करने के लिए देश को पीढ़ियों को तैयार करने और दुनिया में अच्छे लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने की जरूरत है।”
आरएसएस प्रमुख ने कहा, “1857 के बाद, हमारे खिलाफ कुछ गलतफहमियां फैलाई गईं। यह स्वामी विवेकानंद ही थे, जिन्होंने हमें हेय दृष्टि से देखने वालों को करारा जवाब दिया।”